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पूजा भारद्वाज "सुमन"

Romance Inspirational

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पूजा भारद्वाज "सुमन"

Romance Inspirational

प्रेम की परिभाषा

प्रेम की परिभाषा

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ढाई अक्षर का शब्द है प्यार

पर व्याप्त है इसमें सारा संसार 

प्रेम तो केवल प्रेम है

ना इसका कोई मोल, ना ही कोई अंत हैं

ये प्यार तो निश्छल और अनंत है।

राधा का कृष्णा से, महादेव का सती से 

हनुमान जी के लिए राम जी की भक्ति है प्रेम


प्रेम और कुछ नहीं जानता

किसी भाषा और किसी जाति को नहीं पहचानता

क्या बताएं प्रेम की परिभाषा 

सभी भाषा को एक ही सुर में पिरोता है प्रेम

किसी भी राह, किसी भी मोड़ पर हो जाता है प्रेम

सब सुध बुध खो जाती इसमें

जैसे राधा जी हो जाती मदहोश 

सुन कान्हा की बंसी की धुन 

कहते हैं राधा जी मदहोश होकर

नंगे पांव यमुना किनारे चल देती थी 

ऐसी है प्रेम की अनोखी कहानी


मीरा कृष्ण मोह में विष का प्याला भी पी गईं

उनको विष लगा अमृत सा ,

सीता जी के लिए राम का प्रेम 

उनके लिए त्याग और समर्पण ही है प्रेम

भरत का बड़े भाई राम के लिए 

राज को त्याग देना ही है प्रेम


एक मां का अपने बच्चे के लिए 

हर दुख तकलीफ से बचाकर 

अपने आंचल में छुपा लेना ही है प्रेम

बच्चे के लिए मां की हाथ के निवाले की तरह है प्रेम

माता पिता के चरणों में आशीर्वाद की तरह है प्रेम

बिना स्वार्थ के निस्वार्थ भाव से आत्मा की पुकार है प्रेम

दो लोगों के मिलने और एक नए संसार को

बनाने की आधार शिला है प्रेम

प्रेम एक विश्वास है जीवन की उमंग है

उल्लास है मुरझाई हुई सी 

आंखों की खुशनुमा प्यास है प्रेम ।



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