चादर
चादर


रखना संभाल कर
मेरे वादों और इरादों की चादर
को तुम हमेशा,
ठंड के मौसम में कौन जाने
तुम्हारी गर्माहट को यही
बरकरार रखेगी,
सर्दीले मौसम की ठंडक में
मुझे बेहद पसंद है तुम्हारा
जोशीला अंदाज चादर में,
इसी तरह गर्मियों में
गर्म हवा के थपेड़ों से तुम्हारे
माथे पर लिपटी हुई
मेरे होठों की निशानियों को
पिघलने से यही चादर बचाये रखेगी,
फिर जब मिलोगे मुझे तुम
बसन्ती हवा के पैगाम लेकर
तब हम और तुम
रंगीले फागुन के रंगों में सराबोर
छिपे होंगे इसी एक ही चादर में,
हाँ , बारिशें भी तो बड़ी बेशर्म होती हैं
मेरे तन - मन को भिगोने की ललक में
जब बादलों के झुरमुट
झूम उठेंगे हवाओं के संग
मेरी ओढ़नी मुझे ढकने में नाकाम होगी
तब तुम्हारे नाम की ये चादर
तुम्हारे हाथों से ढक देगी मुझे
तुम्हारी नायाब मुहब्बत के
हक़दार की तरह....