ग़ज़ल
ग़ज़ल
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हसीन दिल के बयान चेहरे।
कभी ग़मों की दुकान चेहरे।
खिले गुलों की यूं खु़शबुओं से,
जहान के बागबान चेहरे।
पढ़ें लिखे भी समझ न पाये,
तसल्लियों का बखान चेहरे।
करें न शिकवा जमाने भर से,
नही रहे बदगुमान चेहरे।
यक़ीन पर है रुका जमाना,
यक़ीन के पासबान चेहरे।