STORYMIRROR

Nirupama Mishra

Romance

4  

Nirupama Mishra

Romance

अश़्क बहाना भूल गए

अश़्क बहाना भूल गए

1 min
567

अब आँखों से अश़्क बहाना भूल गए।

तुम आये तो दर्द पुराना भूल गए। 


अपने भीतर की हलचल से हैरानी,

महफिल में भी शोर मचाना भूल गए। 


करते जो आबाद हमेशा गुलशन को,

पंछी अपना ठौर ठिकाना भूल गए। 


खामोशी भी बोल रही अपने भीतर,

बाहर है कितना वीराना भूल गए। 


यूं तो सबको रोज नसीहत देते हैं,

बस अपने को ही समझाना भूल गए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance