नारी
नारी
नारी बिन जीवन नही, जाने यह संसार।
यही सृष्टि का रूप है, यही जगत आधार।१।
जिस घर में होता नही, नारी का सम्मान।
विपदा की पहचान है, वह घर नरक समान।२।
विषम परिस्थिति को सदा, लेती रही संभाल।
सुख का बनती आसरा, दुख में बनती ढाल।३।
इंद्रधनुष जैसे लगे, नारी के हर रूप।
माँ बहन संगिनी सुता, जीवन सरल अनूप।४।
मानवता के हित में सदा, रखना है यह ध्यान।
शिक्षित सभ्य समाज हो, नारी का सम्मान।५।
नारी के माधुर्य में, शक्ति रूप सौंदर्य।
जीवन में है संतुलन, स्नेह शौर्य एश्वर्य।६।
अपने ही परिवेश में, लाना हमें सुधार।
सुरक्षित नारी अस्मिता, मिले सभी अधिकार।७।
वाणी कर्म विचार से, करिए मत अपमान।
आहत मन नैना सजल,चुभता शूल समान।८।