समय को जिसने भी भाई जाना समय को जिसने भी भाई जाना
सोचा था इस विराने मे छेड़ने को मजनू मिल जाता मिल भी तो फ़ूटे कर्म वह ध्यान दे। सोचा था इस विराने मे छेड़ने को मजनू मिल जाता मिल भी तो फ़ूटे कर्म वह ध्यान दे...
यह कविता बीते समय का एक तराना है। यह कविता बीते समय का एक तराना है।
यूं तो सबको रोज नसीहत देते हैं, बस अपने को ही समझाना भूल गए। यूं तो सबको रोज नसीहत देते हैं, बस अपने को ही समझाना भूल गए।
प्यार की आस में हूँ मैं वफ़ा की तलाश में हूँ मैं वो भी उतना ही चाहे मुझे बस इसी चाह में हूँ मैं ... प्यार की आस में हूँ मैं वफ़ा की तलाश में हूँ मैं वो भी उतना ही चाहे मुझे बस इ...
जहाँ कभी हरियाली थी और आज जहाँ वीराना है जहाँ कभी हरियाली थी और आज जहाँ वीराना है