आंशिक बेचारा (log 15)
आंशिक बेचारा (log 15)
सोचा था इस विराने में छेड़ने को मजनू मिल जाता
मिल भी तो फ़ूटे कर्म वह ध्यान दे भी न कह सका
ज़ुबान तो ऐसी सिल गई जैसे ख़ुद ही गूंगा लंगूर हो
अब झिझकते क्या न करते एक ग़म और ले बैठे।
तुम्हीं बताओ क्या करें कही करोना मरीज़ न बन जाए;
खेल मे शर्म से पगला ख़ुद को आईसोलेट न कर बैठे!
