उसका मेरा मिलना नहीं हाथों कि लकीरों में क्या पता ये लकीर बनाके छोड़ेगी दुनिया उसका मेरा मिलना नहीं हाथों कि लकीरों में क्या पता ये लकीर बनाके छोड़ेगी ...
हँस कर खुद पर, मैंने खुद को बताया फलां। हँस कर खुद पर, मैंने खुद को बताया फलां।
सोचा था इस विराने मे छेड़ने को मजनू मिल जाता मिल भी तो फ़ूटे कर्म वह ध्यान दे। सोचा था इस विराने मे छेड़ने को मजनू मिल जाता मिल भी तो फ़ूटे कर्म वह ध्यान दे...
तब भी हीर रांझा – लैला मजनू के वजूद थे। तब भी हीर रांझा – लैला मजनू के वजूद थे।
पागल सा कर देता है इंसान को। कुछ इसी तरह का रोग होता है ये।। पागल सा कर देता है इंसान को। कुछ इसी तरह का रोग होता है ये।।
पर क्या पाकिस्तान को मैं मुर्दाबाद लिखूँ ? पर क्या पाकिस्तान को मैं मुर्दाबाद लिखूँ ?