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Mamta Singh Devaa

Romance

4  

Mamta Singh Devaa

Romance

प्रेम के फसाने

प्रेम के फसाने

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पहले हम प्रेम के अफसाने लिखते थे

उनसे मिलने मिलाने के बहाने लिखते थे,

उस हर बात को शराफत से छुपा जाते थे

जिसमें ज़रा सा भी जिक्र उनके पाये जाते थे,


डाक्टर बीमारियाँ नब्ज देख कर बताते थे

पर माशूकों की नब्ज कहाँ पकड़ पाते थे,

उनको देख कर आँखें इतनी भोली हो जाती थीं

न जाने कब छुप छुपा कर होली हो जाती थी,


सुराग ढ़ूढ़ने को बड़े बड़े जासूस लगाये जाते थे

इधर चालाकी से हर निशान छुपाये जाते थे,

वो अगर सेर थे तो इधर सब सवा सेर थे

दीवानों के दिमाग के आगे वो वहीं ढ़ेर थे,


हमेशा से प्रेमी जोड़े अनोखे और बे – मोल थे

प्रेम की परिभाषा की तरह बेहद अनमोल थे,

सदियों से अनेकों प्रेम के दुश्मन मौजूद थे

तब भी हीर रांझा – लैला मजनू के वजूद थे।


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