संकीर्णता के दायरे में सिमटकर अपनी विचार को कैदी न बना पाएंगे संकीर्णता के दायरे में सिमटकर अपनी विचार को कैदी न बना पाएंगे
मैं खाखी से कुछ तमगे हटा दूंगा, मैं चरण स्पर्श करूँगा कुछ ज्ञानी के, और अज्ञानी को सारे सन्देश सुना ... मैं खाखी से कुछ तमगे हटा दूंगा, मैं चरण स्पर्श करूँगा कुछ ज्ञानी के, और अज्ञानी ...
तब तुम्हारे नाम की ये चादर तुम्हारे हाथों से ढक देगी मुझे। तब तुम्हारे नाम की ये चादर तुम्हारे हाथों से ढक देगी मुझे।