समझ
समझ
नज़रों का फेर हो सकता है, जो बदला सा लगता है..
प्रकृति का खेल हो सकता है, जो कमाल सा लगता है..
कोई थोड़ा परेशान, थोड़ा बेचैन, थोड़ा घायल हो सकता है..
पर वो जो बेखौफ उड़ता है, आज़ाद परिन्दा ही हो सकता है..
नज़रों का फेर हो सकता है, जो बदला सा लगता है..
प्रकृति का खेल हो सकता है, जो कमाल सा लगता है..
कोई थोड़ा परेशान, थोड़ा बेचैन, थोड़ा घायल हो सकता है..
पर वो जो बेखौफ उड़ता है, आज़ाद परिन्दा ही हो सकता है..