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Govind Narayan Sharma

Inspirational

4  

Govind Narayan Sharma

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मुफलिसी ईमान

मुफलिसी ईमान

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मुफलिसी में ईमान खोने की नीयत नही की , 

अपनी शर्तों पर जिन्दगी जी हुजूरी नही की ! 


आसान था ईमान को कोडियों में डगमगाना, 

कभी किसी बेईमान से यारी दोस्ती नही की ! 


तरक्की सहज थी सच के खरीददार न मिले,

बेईमान ने ईमान खरीदने की साजिश नही की ! 


जिना आसां हैं,जिंदगी में मरकर जिये कोई, 

जी उठता हूँ रोज ,सांसो ने बगावत नही की ! 


मुसीबतों में कांटो की चुभन ने होंसला दिया,

जो थे करीबी उन्हें खुशियाँ गवारा नही की ! 



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