मुफलिसी ईमान
मुफलिसी ईमान
मुफलिसी में ईमान खोने की नीयत नही की ,
अपनी शर्तों पर जिन्दगी जी हुजूरी नही की !
आसान था ईमान को कोडियों में डगमगाना,
कभी किसी बेईमान से यारी दोस्ती नही की !
तरक्की सहज थी सच के खरीददार न मिले,
बेईमान ने ईमान खरीदने की साजिश नही की !
जिना आसां हैं,जिंदगी में मरकर जिये कोई,
जी उठता हूँ रोज ,सांसो ने बगावत नही की !
मुसीबतों में कांटो की चुभन ने होंसला दिया,
जो थे करीबी उन्हें खुशियाँ गवारा नही की !
