होली के रंग
होली के रंग
फाल्गुन की बदली छा गई,
रंगों की फुहार लेकर,
फिर से होली आ गई।
सभी पिचकारी में भरके रंग,
हो लेंगे अपनों के संग।
हाथों में भरकर गुलाल,
जमकर करेंगे खूब धमाल।
फिर होगी वही धन की हानि,
नहीं होगा किसी को मलाल।
अपनों तक ही सीमित रहते सब,
नहीं जानते पीर पराई।
सुख दुख बांटे इक दूजे का,
इसलिए त्यौहारों की परम्परा बनाई।
धन का यूँ न व्यय करें,
थोड़ी सी हम बचत करें।
आओ होली के इस पावन पर्व पर,
दीन दुखियों की मदद करें।
जब तक बंधुओं के लिए बंधुत्व नहीं,
फिर ऐसे त्यौहारों का कोई महत्व नहीं।