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Kamlesh Ahuja

Tragedy

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Kamlesh Ahuja

Tragedy

रिश्ते

रिश्ते

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रेत की भांति मुट्ठी से फिसल रहे हैं रिश्ते,

आज संभाले से नहीं संभल रहे हैं रिश्ते।

ना पहले सा वो प्यार ना वैसे संस्कार,

बस अधुनिकता में ढल रहे हैं रिश्ते।


क्यों हो कोई हमसे ज्यादा सुखी और सम्पन्न,

ईर्ष्या और द्वेष की आग में जल रहे हैं रिश्ते।

सभी रस्मों रिवाज कर्तव्यों से विमुख होकर,

चाहत की दौड़ में आगे निकल रहे हैं रिश्ते।

अब कैसे कोई विश्वास करे इन पर,

जब पल पल यहाँ रंग बदल रहे हैं रिश्ते।

   


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