बुढ़ापे का रोमांस
बुढ़ापे का रोमांस
बुढ़ापे में रूमानी हो गए इक दिन बूढ़े मियां,
बोले अपनी डोकरी से,सिनेमा चलोगी क्या छमिया।
शर्माते हुए वो बोली,मुँह में दाँत न पेट में आँत,
लाज नहीं आती तुम्हें,करते हुए ऐसी बतियां।
खाँसते हुए डोकर बोले,आँत दाँत का क्या काम,
जब धड़क रहा हो दिल,सीने में सजनिया।
मुस्कुराकर डोकरी बोली,सिनेमा देखते-देखते,
बंद हो गई जो धड़कन,तो क्या होगा पिया,
तुम्हारे पहलू में गर मरे,तो वो मौत भी हसीन होगी,
फिल्मी अंदाज में गाना गाकर,अब तो हीरो बन गए बूढ़े मियां।
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