एहसास
एहसास
कितना खूबसूरत है न,
एक स्त्री के लिए माँ बनने का एहसास।
अपने ही शरीर का एक अंश,
जब गोद में उसकी आता है।
एक ही पल में दामन उसका,
मानों खुशियों से भर जाता है।
नन्हें नन्हें कोमल हाथों से,
कोई जब उसको छूता है,
बेजान से तन में उसके,जैसे
नवजीवन का संचार होता है।
देख शिशु की किलकारी और हँसी,
प्रसव पीड़ा अपनी वो भूल जाती है।
सीने से लगाकर नन्हीं सी जान को,
पालन पोषण में उसके जुट जाती है।
दूध पिलाकर अपने स्तनों से,
दुधमुहे की क्षुधा जब वो मिटाती है
धन्य हो जाता है जीवन उसका,
सम्पूर्ण अपने को वो पाती है।
