वृद्धा की करुण पुकार
वृद्धा की करुण पुकार


यूँ तन्हा न करो मुझे मेरे बच्चों,
बिन तुम्हारे जी न सकूँगी मैं।
जुदा गर तुमसे हो गई तो,फिर
विरहा की आग में जलूँगी मैं।
जैसे चाहो रख लेना तुम मुझे
कभी किसी से कुछ न कहूँगी मैं।
तुम्हारी हर खुशी के लिए,
दुख तकलीफ सब सह लूँगी मैं।
नहीं चाहिए अलग से कमरा, बस
घर के एक कोने में पड़ी रहूँगी मैं।
थोड़ा सा जो दे दोगे आसरा मुझे,
तो तुम्हें हजार दुआएं दूँगी मैं।
न रहेगा जिंदगी से फिर कोई गिला,
हँसते-हँसते दुनिया से कूच करूँगी मैं।