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Anupama Singh

Inspirational

4.7  

Anupama Singh

Inspirational

सारा जहाँ है पिता

सारा जहाँ है पिता

1 min
211


कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान

है पिता

कभी धरती तो कभी आसमान है पिता

जन्म दिया है अगर माँ ने

जानेगा जिससे जग वो पहचान

है पिता


कभी कंधे पे बिठा कर मेला दिखाता

है पिता

कभी बन के घोड़ा घुमाता है पिता

माँ अगर पैरों पे चलना सिखाती है

तो पैरों पे खड़ा होना सिखाता

है पिता


कभी हँसी तो कभी अनुशासन है पिता

कभी मौन तो कभी भाषण है पिता

माँ अगर घर में रसोई है

तो चलता है जिससे घर वो राशन

है पिता


कभी ख़्वाब को पूरी करने की जिम्मेदारी

है पिता

कभी आंसूओं में छिपी लाचारी है पिता

माँ गर बेच सकती है जरुरत पे गहने

तो जो अपने को बेच दे वो व्यापारी

है पिता


कभी हँसी और खुशी का मेला है पिता

कभी कितना तन्हा और अकेला है पिता

माँ तो कह देती है अपने दिल की बात

सब कुछ समेट के आसमान सा फैला

है पिता


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