AKANKSHA SHRIVASTAVA
Inspirational
दरख़्तों पे दरार ही काफी है
टूट जाने के लिए,
कटना ही जरुरी नहीं है।
दरख्तों पे दरार जरुरी है
डाली को फूलों से
भर जाने के लिए।
दर्द का ज़ख़्म जरुरी है,
खुशियों का मरहम पाने के लिए
दरार तो जरुरी है,
नसीब में बहार को लेने के लिए।
सम्मान
सफर
इन अंधेरो में...
आँगन के गुलाब...
दरख़्त
दर्द के पहलु ...
जुबान
आसमान या ज़मीन...
भूख-पराए देश ...
गिर के उठना ,...
माँ ये एक शब्द ही काफी है। माँ ये एक शब्द ही काफी है।
भीम ने पाया कबीर में सामाजीक गुरु का स्थान। भीम ने पाया कबीर में सामाजीक गुरु का स्थान।
कोरोना ने डॉक्टर व अस्पताल स्टाफ के महत्व को लोगों को समझा दिया, कोरोना ने डॉक्टर व अस्पताल स्टाफ के महत्व को लोगों को समझा दिया,
माँ तू काली ममत्व रूप में बच्चों को शक्ति देती माँ तू सरस्वती ममत्व रूप में बच्चों को माँ तू काली ममत्व रूप में बच्चों को शक्ति देती माँ तू सरस्वती ममत्व रूप में ब...
यह केवल प्यार या ममता नहीं यह है हमारा अटूट बंधन। यह केवल प्यार या ममता नहीं यह है हमारा अटूट बंधन।
शायद ख़्वाबों के संग अपने सुकून से भी मुलाक़ात कर पाओ ! शायद ख़्वाबों के संग अपने सुकून से भी मुलाक़ात कर पाओ !
जिसने जन्म दिया इस वीर को धन्य धन्य है वो माई। जिसने जन्म दिया इस वीर को धन्य धन्य है वो माई।
ना समझूँ तो समझा देती है, रूठ जाऊं तो मना लेती है। ना समझूँ तो समझा देती है, रूठ जाऊं तो मना लेती है।
अपने जैसे लोग जहाँ हो, उनके साथ ही समय बिताओ। अपने जैसे लोग जहाँ हो, उनके साथ ही समय बिताओ।
मुस्कुराता फौजी मांँ भारती का वो लाल हूँ शहीदों में चमकता सुनहरा मैं वो नाम हूंँ। मुस्कुराता फौजी मांँ भारती का वो लाल हूँ शहीदों में चमकता सुनहरा मैं वो नाम ...
और हां अपनों का प्यार बनाए रखें और अपनों से प्यार करते रहे खूब हंसे और खूब तरक्कियाँ कर और हां अपनों का प्यार बनाए रखें और अपनों से प्यार करते रहे खूब हंसे और खूब तरक्क...
गोद में रख के सिर ममता भरी उंगलियां फिराती है मां, मैंने बचपन से देखा है मां को मोम सी गोद में रख के सिर ममता भरी उंगलियां फिराती है मां, मैंने बचपन से देखा है मां ...
आज की तुलना कल, और कल की तुलना आज से करते हो, भाई साहब क्या गजब करते हो ! आज की तुलना कल, और कल की तुलना आज से करते हो, भाई साहब क्या गजब करते हो !
बोल तेरे लगाते मरहम, वात्सल्य का रूप अनुपम। माँ ही सत्यम,शिवम्,सुंदरम्। बोल तेरे लगाते मरहम, वात्सल्य का रूप अनुपम। माँ ही सत्यम,शिवम्,सुंदरम्।
एक दिन ही क्या अपनी मां का होता है? एक दिन ही क्या अपनी मां का होता है?
मस्ती में कभी मां का दुलार तो कभी मार खाते हैं। मस्ती में कभी मां का दुलार तो कभी मार खाते हैं।
विज्ञान युग सद भावना प्रेम शांति खुशहाली का वरदान।। विज्ञान युग सद भावना प्रेम शांति खुशहाली का वरदान।।
गर नहीं किया तो भोगोगे, अब समय काल दोहराएगा।। गर नहीं किया तो भोगोगे, अब समय काल दोहराएगा।।
आँचल से पोंछती पसीना सफ़ाई से करती बहाना शायद बी पी का है बढ़ जाना ... सब समझता हूँ। आँचल से पोंछती पसीना सफ़ाई से करती बहाना शायद बी पी का है बढ़ जाना ... ...
कठिन शारीरिक मेहनत के पर्याय हैं वो, झुलसाती धूप को सह ले वह लौह स्तंभ हैं वो। कठिन शारीरिक मेहनत के पर्याय हैं वो, झुलसाती धूप को सह ले वह लौह स्तंभ हैं ...