STORYMIRROR

AKANKSHA SHRIVASTAVA

Inspirational

3  

AKANKSHA SHRIVASTAVA

Inspirational

दरख़्त

दरख़्त

1 min
350

दरख़्तों पे दरार ही काफी है 

टूट जाने के लिए,

कटना ही जरुरी नहीं है। 


दरख्तों पे दरार जरुरी है 

डाली को फूलों से

भर जाने के लिए। 


दर्द का ज़ख़्म जरुरी है,

खुशियों का मरहम पाने के लिए 

दरार तो जरुरी है,

नसीब में बहार को लेने के लिए। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational