गिर के उठना ,उठ के गिरना
गिर के उठना ,उठ के गिरना
गिर के उठना, उठ के गिरना
और वापस मुँह के बल गिर जाना
ज़िन्दगी तेरी दौड़ में गिर गिर के चले है
लोगो के पेरो पे गिरे है, मर मर के जिए है
उठ उठ के गिरे है।
गिर के उठना, उठ के गिरना
जीवन में कभी भाग्य ने हाथ नहीं पकड़ा
जिन लोगो को हमने हाथ दिया,
उन्होंने घुटनो पे गिराया है
ज़िन्दगी तूने बस गिरना ही सिखाया है
उठ उठ के फिर गिराया है।
गिर के उठना, उठ के गिरना
हर बार गिर जाने क बाद,
आँसू भी कहाँ थामे है
ऐ ज़िन्दगी हम उठ उठ के गिरे है
रोने के बाद, थक जाने के बाद
बस यही कहा है रोना नहीं, उठ के चलना है
कुछ ही दिनों बाद वापस घुटनो पे गिरे है
हम बस उठ उठ के गिरे है।
गिर के उठना, उठ के गिरना
ऐ ज़िन्दगी हम तुझे कहाँ जिए है
बस गिर के उठे और वापस
फिर गिरे है, फिर गिरे है।
