STORYMIRROR

AKANKSHA SHRIVASTAVA

Classics

4.4  

AKANKSHA SHRIVASTAVA

Classics

आसमान या ज़मीन ?

आसमान या ज़मीन ?

1 min
596


ऊंचाई की उड़ान नहीं,

जमीन से जुड़ना ही इलाज है 

तुम्हे आसमाँ मुबारक हो,

मिट्टी ही मेरी पहचान है। 


अगर कुछ कर दिखाना हो,

खोद अपनी जड़ें तू 

नकल नहीं असल में रहना,

अब तो सफलता तेरी आसान है। 


मौका मिलते ही,

बैठ जाती हूँ जमीन पर 

औकात में रहना,

मेरी शख्सियत की पहचान है। 


आसमान तो अनंत है,

भटक जाती हूँ उड़ान भरते ही 

जड़ों को जब जब है खखोला,

जीवन को दिया सही मोड़ है। 


बारी तुम्हारी है चयन करने की ?

मुझे तो आसमाँ से नहीं,

जमीन की जड़ों से प्यार है। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics