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Rashmi Rawat

Inspirational

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Rashmi Rawat

Inspirational

टिमटिमाता उजाला

टिमटिमाता उजाला

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जिद्दी मन, 

छोड़ता ही नहीं,

टिमटिमाते उजाले का छोर। 

सुप्त सी हुई 

आग में, 

मटमैली सी बदरंग, 

ठंडी पड़ी राख में, 

ढूंढती मैं, 

कहीं सहेजी हुई, 

कोई चिंगारी, 

जो पुनर्जीवित हो

ले फिर नया रूप। 

टिमटिमाता छोटा 

सा दिया, 

असमर्थ है करने

में चकाचौंध, 

रोक सकता है किन्तु, 

अंधेरे की ठोकरों से। 

मैं सहेजती, ढांपती , 

हवाओं से बचाती,

कि कहीं छूटे न

उजाले का छोर। 



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