दर्द में भेद
दर्द में भेद
दर्द में अपने पराए,
भेद सदा ही रहता है।
मेरे दर्द को पर्वत,
और तेरे दर्द को
राई सा कहता है।
दर्द में ये भेद,
सदियों से चलता आया है,
सच कि छोड़ देता है साथ,
दुख में जो ये साया है।
ये भेद न होता तो,
इतने अत्याचार न होते,
हमारी बेटियों के साथ,
ये ह्रदय विदारक
दुर्व्यवहार न होते,
न होता ये भेद तो,
बहुएं कभी जलाई न जातीं
और बुढ़ापे में एक भी,
मां कभी सताई न जाती।
हर अपराध इसी दर्द में भेद,
के कारण होता है।
दर्द में अपने पराए,
भेद सदा ही रहता है।
