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Rashmi Rawat

Abstract

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Rashmi Rawat

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प्रेम में पगे मुक्तक

प्रेम में पगे मुक्तक

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रात दिन हर पहर तुझको सुनती रहूं, 

तेरे हर लफ्ज़ से गीत बुनती रहूं, 

मखमली, अनछुए, शोख अहसास हैं, 

बांह थामे तेरी संग चलती रहूं। 


मंजिलों पर नजर न डगर का पता,

चाहूं तुम्हें, मांगू बस ये ही दुआ, 

बेखबर हूँ कि मुझको है जाना कहाँ, 

तू इबादत मेरी तू ही मेरा खुदा। 


रास्ते हैं हसीं जबकि तू साथ है, 

जिदंगी का सफर तुझसे ही खास है, 

तू हंसे, हंस पड़ें सारी वीरानियां, 

व्यर्थ है रंगीनियां, जो तू उदास है। 


अनमोल है तेरे प्यार की दौलत, 

ख्यालों से तेरे मिलती नहीं मोहलत, 

तेरी बातें मुझको तो जैसे रुबाई हैं, 

मीरा को तो श्याम सबसे बड़ी शोहरत।


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