साथ: एक भाव साथ: एक भाव
हर रात की भोर निश्चित है छटकर नैराश्य खिलते है फूल दल हर रात की भोर निश्चित है छटकर नैराश्य खिलते है फूल दल
जिद्दी मन, छोड़ता ही नहीं, टिमटिमाते उजाले का छोर। सुप्त सी हुई जिद्दी मन, छोड़ता ही नहीं, टिमटिमाते उजाले का छोर। सुप्त सी हुई
होती है ये धरोहर अनमोल और खूबसूरत जो रिश्तों की नई लिखती है इबारत। होती है ये धरोहर अनमोल और खूबसूरत जो रिश्तों की नई लिखती है इबारत।
कलम दवात की, स्याही से ज्यादा कहाँ चलती है हदें तय हैं, दो छोरों की दूरी तय कर रहे हो। कलम दवात की, स्याही से ज्यादा कहाँ चलती है हदें तय हैं, दो छोरों की दूरी तय कर ...
प्रकृति के साथ जीवन का दस्तूर बना लो सभी फासले सभी हटा लो अभी। प्रकृति के साथ जीवन का दस्तूर बना लो सभी फासले सभी हटा लो अभी।