रंग बिरंगी होली
रंग बिरंगी होली
त्यौहार है रंगों का,
ख़ुशियों और उमंगों का।
भेदभाव मिटाने का,
परायों को अपनाने का।
हँसने और हँसाने का,
है वक्त रूठों को मनाने का
नीला पीला हरा गुलाबी,
हम सारे रंग उड़ाते हैं
कभी गाल कभी माथे पर,
अपना रंग लगाते हैं
रसोई में माँ हमारी,
मीठे पकवान बनाती है
गरमागरम पकौड़े और,
गुझिया भी खिलाती है
मजाक मस्ती भरपूर होती,
घर में प्यार छलकता है
यही प्यार और अपनापन,
देश में भी आ जाये तो
देश हमारा आगे बढ़ेगा,
विदेशों में नाम कमायेगा
हिंदु मुस्लिम में बैर कैसी,
सब एक ही माँ के बच्चे है
तभी तो लोग कहते फिरते,
हिन्दुस्तानी सच्चे हैं