ज़ब कोई पास होता है
ज़ब कोई पास होता है


पूछो मत मन कितना उदास होता है,
जब पास होकर भी वह नहीं पास होता है।
जोड़ लिया है जाने कब से उन्होंने खुद से ही नाता,
या फिर तोड़ लिया है अब नातों से अपना नाता।
है कालचक्र की गति यह पर क्यों पैदा आस होता है।
मत पूछो मन कितना उदास होता है !
कहते हैं सब यह जीवन एक नाटक है।
सुख दुख आयेंगे जायेंगे खुला हुआ फाटक है।
फिर भी सब अच्छा होने का जब विश्वास होता है
पूछो मत मन कितना उदास होता है।
वह नाटक तो करता है मन का रंजन,
फिर जीवन के अभिनय से क्यों
टुटन का अहसास होता है।
मत पूछो मन कितना उदास होता है,
जब पास होकर भी कोई नहीं पास होता है।