प्रेम
प्रेम
प्रेम
नन्ही -सी
गौरैया-सा
उछल कूद करता
नाप आता है
पूरा आंगन।
तुलसी के
नन्हे बिरवे -सा,
नाजुक पवित्र
भर देता है
गंध पवित्रता की
पूरे घर में।
मस्तमौला तितली -सा
उन्मुक्त उड़ता है
अवनि-अंबर।
प्रेम
बसंती हवा का
एक शीतल स्पर्श।
प्रेम
नन्ही -सी
गौरैया-सा
उछल कूद करता
नाप आता है
पूरा आंगन।
तुलसी के
नन्हे बिरवे -सा,
नाजुक पवित्र
भर देता है
गंध पवित्रता की
पूरे घर में।
मस्तमौला तितली -सा
उन्मुक्त उड़ता है
अवनि-अंबर।
प्रेम
बसंती हवा का
एक शीतल स्पर्श।