यहाँ डिग्री नहीं, चलते जज्बात हैं यहाँ डिग्री नहीं, चलते जज्बात हैं
मेरा आंगन मुझसे कुछ कह रहा है, पुरानी यादों की सरसराहट से वो गूंज रहा है। मेरा आंगन मुझसे कुछ कह रहा है, पुरानी यादों की सरसराहट से वो गूंज रहा है।
नज़रों के हेर फेर ने, मुस्कुराहट बिखेर दी, नज़रों के हेर फेर ने, मुस्कुराहट बिखेर दी,
गुजरे वक्त की किताबों को, चलो फिर से खोलते हैं। गुजरे वक्त की किताबों को, चलो फिर से खोलते हैं।
सभी के मुख पे थी एक अलग सी चिंतन, जैसे किसी हल के लिए कर रहे है आत्म मंथन सभी के मुख पे थी एक अलग सी चिंतन, जैसे किसी हल के लिए कर रहे है आत्म मंथन
बिन पंखों के मन का पंछी, फलक तक उड़ता रहा। बिन पंखों के मन का पंछी, फलक तक उड़ता रहा।