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Vikas Shahi

Abstract Inspirational

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Vikas Shahi

Abstract Inspirational

अधूरा इंसान

अधूरा इंसान

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गहरी खाई में गिरा 

यूँ आहट सी लगी

फिर श्वासों के टूटने पर


कितना मजबूर होता

ये इंसान भी

उम्मीद के छूटने पर


घाव लगा अगाध

जो अपनों के तीर से

पीड़ा कहीं रूठने पर


बून्द बून्द आंसू से

समंदर भी भरा होगा

इंसानियत के मिटने पर।


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