:बस लिखना तुम
:बस लिखना तुम
लेखनी बस लिखना तुम,लेखनी बस लिखना तुम
देश के भीतर रहने वाले,उन गद्दारो को लिखना तुम
देश से ईर्ष्या करने वाले, उसका ही अन्न खाने वाले
भारत में जन्मे लाल हो तुम, फिर क्यो गद्दार हो तुम
लेखनी बस लिखना तुम,लेखनी बस लिखना तुम।
लेखनी बस लिखना तुम,लेखनी बस लिखना तुम।
हो बलशाली बलवान तुम ,निडर हो अडिग हो तुम
तुममे भी थी खुद्दारी, फिर आज क्यो रंग बदल गई?
फिर क्यों की गद्दारी ? किसके कहने पर गदारी की।
लेखनी बस लिखना तुम,लेखनी बस लिखना तुम।
लेखनी बस लिखना तुम,लेखनी बस लिखना तुम।
धरती माँ की लाज हो तुम,उसकी कोख से जन्मे हो
आज घिनौना रूप किया,चंद पैसों में लूट गए हो तुम
कल तक माँ के थे रखवाले,क्यो लुटेरे बने हो तुम
लेखनी बस लिखना तुम,लेखनी बस लिखना तुम।
लेखनी बस लिखना तुम,लेखनी बस लिखना तुम।
बन गये तुम बेगाने से,धिक्कार रही भारत माता
मौत के ही हक़दार हो तुम,माँ से गद्दारी के कारण
देशद्रोही, गद्दार हो तुम,भारत माँ पर नासूर हो तुम
लेखनी बस लिखना तुम,लेखनी बस लिखना तुम।