पैसों की दुनिया
पैसों की दुनिया
शहंशाह की तरह जीता वो जिसके पास होता है पैसा,
पद और प्रतिष्ठा बढ़ जाती जिसके पास होता है पैसा,
पैसों के लोभ में इंसानियत को भी नहीं पहचानता वो ,
रिश्ते नाते उसके लिए छोटे जिसके पास होता है पैसा,
पैसे की इस दुनिया में मानव ढलकर मशीन-सा हो गया,
दिल वज्र हो गया और एहसास तो कहीं दबकर रह गया,
आगे बढ़ने की इस होड़ में इंसान को निगल गया है पैसा,
प्रेम वेदना मिट गई और जीवन चक्रव्यूह बनकर रह गया,
साथी और संगी पीछे छूट गए, पैसों की कमाई बाकी है,
रिश्तों की दौलत खो डाली और अपनी परछाई बाकी है,
क्या मिला रिश्तों को खोकर हमें इन पैसों के बाजारों में,
अब सच्चाई की कीमत ना रही, हर चीज से सौदेबाजी है,
एक मजदूर मेहनत से दिन में जब सिर्फ दो पैसे कमाता,
क्या बचता पूरे दिन में वो तो,सिर्फ थकान घर ले जाता,
आज लगता है हमारी मेहनत पर सवाल खड़ा हो गया ,
पैसा हर किरदार से बड़ा, आज ही पैसा ही हमसे कहता,
पैसे के कई रंग रूप जाने किस किसको छल जाता है,
सर चढ़कर बोलता इंसान का अस्तित्व यह बताता है,
कभी आसमान पर बैठाता ,कभी धरातल पर ले आता,
अपने रूपरंग से लुभा कर सुकून अपने संग ले जाता है,
संसार में कोई पैसे का पुजारी कोई पैसे का व्यापारी है
अमीरी गरीबी का चक्रव्यूह आज तेरी कल मेरी बारी है,
चिंताएं बढ़ाकर अधिक पाने की लालसा बढ़ाता मन में,
किसी की बेबसी व लाचारी में भी बन जाता व्यापारी है
पैसों को देखकर किसी की औकात निर्धारित हो जाती,
व्यवहार से पहले ही पैसा देख उसकी इज्जत की जाती,
पैसा कमाने की होड़ में आज इस तरह लग गया इंसान,
सब संस्कारों को भूलकर सिर्फ पैसों की पूजा की जाती।
