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AVINASH KUMAR

Abstract

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AVINASH KUMAR

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प्यार का जादू

प्यार का जादू

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प्रेमिका ने किया प्रेमी पर ऐसा जादू।

आँखे और दिल दोनों कर लिए काबू।।


काबू होने से पहले प्रेमी था आवारा।

अब बिस्तर पर लेता हो गया प्रेम का मारा।।


हो गया प्रेम का मारा चाहिए प्रेमिका का चेहरा।

इच्छा थी बनती जीवनसाथी और बांधता सेहरा।।


सेहरा बंधने से पहले ही प्रेमिका ने तोड़ दिया नाता।

अब तो प्रेम ही बन गया दोनों का भाग्य विधाता।।


दोनों का भाग्य विधाता आखिर कौन घुस आया बीच में।

बताया यह किया प्रेमिका के भाई की धमकी भरी स्पीच ने।


धमकी भरी स्पीच मिली तो हिल गया प्रेमी।

डर के मारे प्रेमिका से बोल पड़ा डोंट लव मी।


डोंट लव मी प्रेमी ने बोला प्रेमिका को कल।

और तुरंत ही प्रेम गया हाथ से फिसल।।


कल गया फिसल आज फिर पैरों पर खड़ा।

भले ही कल अनगिनत थप्पड़ भाई ने था जड़ा।।


जड़ा था थप्पड़ किन्तु प्यार आज फिर जागा।

आखिर कहाँ जायेगा डरकर भागा – भागा।।


सो भागने के बजाय बिस्तर पर कर रहा आराम।

सह रहा 108 डिग्री बुखार जो था थप्पड़ का परिणाम।।


परिणाम है यह प्रेम का इसलिए बिस्तर पर लेटना जरूरी।

भाई का थप्पड़ क्या जाने दो दिलों के लव की मजबूरी।।


मजबूरी देखे बिना प्रेमिका छोड़ भागी मैदान।

डोंट लव मी में देख ना पायी छुपी थी प्रेमी की जान।।


जान थी मुसीबत में कैसे सहम गया था प्रेमी।

स्वस्थ होकर फिर पूछेगा जानेमन यू लव मी ?


यू लव मी पूछेगा क्यों कि लव होता है अमर

हार ना मानेगा चाहेगा बिस्तर पर लेटे या टूटे कमर।।


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