अगर ज़िन्दगी में चाहते हो जीत,
अगर ज़िन्दगी में चाहते हो जीत,
न जाने लोग क्यूँ करते, इतनी बड़ी गलती।
एक पल में खत्म करते, ज़िन्दगी अपनी हँसती-खेलती।।
जब भी न होता ज़िन्दगी में, अपनों का साथ।
अकेला देख हमें तंग करती, हर एक बात।।
बेशक है हर, मुश्किल का हल।
अगर रब से, जुड़े रहे हर पल।।
क्या हुआ जो तुमको, मिली एक बार हार।
अभी ज़िन्दगी देगी मौके, तुमको कई बार।।
अपनी हार को देखकर, कभी मत घबराना।
ये हार ही बनेगी, तुम्हारी जीत का बहाना।।
अगर रखते हो-हिम्मत, समझ और ताक़त।
तो ज़रूर दूर होगी, तुम्हारी हर एक आफ़त।।
मत डुबाओ किसी को, बनके दरिया।
पार लगाओ किसी को, बनके ज़रिया।।
करते हो कोशिश पहुँचाने की, किसी को नुक़सान।
नहीं है कोई हक़ तुम्हारा, कहलाने को इन्सान।।
ज़िन्दगी में जब, खामोश हो जाते है अल्फाज़।
तब होता है शुरु, अपनों से दूरियों का आगाज़।।
बस खामोशी ही है, हमारा सबसे बड़ा दुश्मन।
इसके आगे दिखता ही न, किसी का अपनापन।।
कहीं हो न जाये हावी, तुम पर ये तनाव।
जितना हो सके इससे, खुद को बचाव।।
खत्म कर देती है चिंता, तनाव और सोच।
ज़िन्दगी में कुछ करने का, उत्साह और जोश।।
क्यों अपने अंदर बनाते हो, सोच का दलदल।
अपनों से बताओ, तुम्हें मिल सकता है हल।।
सुना है, चिंता-चिता का है, दूसरा नाम।
इस बात को क्यूँ, समझता नहीं इंसान।।
आजकल हम ज़िन्दगी में, इतना है मशगूल।
अपनों से कुछ न कहना, है हम सबकी भूल।।
क्यूंँ है ट्विटर, इंस्टा पर, लाखों-करोड़ों फैन।
जब किसी से कुछ, कह ही न सके मैन।।
ज़िन्दगी में खुदकुशी ही नहीं है, हर मुसीबत का हल।
जब साथ हो अपनों का, बड़ी से बड़ी मुसीबत भी जाती है टल।।
ज़िन्दगी में जब भी कोई चीज़ करे परेशान, और हो न सके उससे आज़ाद।
तो फौरन रब को करें याद, और उनसे ही करें फ़रियाद।।