एक नारी, है सब पर भारी
एक नारी, है सब पर भारी
सैकड़ों है नाम इसके महिला, स्त्री, औरत और नारी।
चाहे हो कोई भी मुश्किल पड़ती है, सब पे यह भारी।।
नारी अपने हर दु:ख-दर्द, को है छुपाती।
चाहे जो भी हो गम, हँस के सह जाती।।
स्त्री को समझना इतना भी, न है आसान।
हो कोई भी मुसीबत करती न, किसी को परेशान।।
हर महिला होती है, अपने घर की महारानी।
घर से ही शुरू होती है इनकी, हर एक कहानी।।
इतिहास के पन्नों में बहुत-सी है, महिला क्रांतिकारी।
देश की आज़ादी में इनकी भी है, बराबर हिस्सेदारी।।
झाँसी की रानी, सरोजिनी नायडू, बेगम हज़रत महल, ऐसी है बहुत सी महिलाएं।
जिनके हौसले, जुनून और जज़्बों से, दुश्मन भी न बच पाए।।
आजकल यह चल रही है मिलाकर, कदम से कदम।
चाहे हो कोई भी काम नहीं है ये, किसी से भी कम।।
पीटी ऊषा, सायना नेहवाल, सानिया मिर्जा, बशेन्द्री पाल और मैरी कॉम।
ऊँचा कर दिखाया इन्होंने, खेल जगत में भारत देश का नाम।।
कल्पना चावला, सुनीता विलियम ने की है अंतरिक्ष की सवारी।
तीसरी भारतीय महिला भी कर रही अब, अंतरिक्ष की तैयारी।।
कहने को स्त्री है एक, बहुत ही छोटा सा नाम।
कितनी आसानी से करती ये, हर मुश्किल काम।।
हर वक़्त निभाती है, अपनों का साथ।
चाहे कितनी भी हो बड़ी, कोई बात।।