"हमारे जाँबाज़ सैनिक"
"हमारे जाँबाज़ सैनिक"
मुल्क़ की सरहदों पर, जब हमारे सैनिक होते।
तभी हम अपने घरों में, चैन की नींद सोते।।
इनके लिए क्या धूप, क्या बारिश, क्या गर्मी और क्या सर्दी।
हर वक़्त हिफाज़त के लिए खड़े है, पहने वतन की वर्दी।।
जय-जवान, जय-किसान, है शास्त्री जी का नारा।
इन्हीं की वजह से सुकून में है, पूरा हिन्दुस्तान हमारा।।
"एक सोई हुई ज़मीन से, अनाज को लाता।"
"तो दूजा मुल्क़ के लिए, ज़मीं में सो जाता।।"
हमेशा रहते है यह, मर-मिटने को तैयार।
अपनों से ज़्यादा, वतन से है इन्हें प्यार।।
त्यौहारों पर नहीं मिलता, अपनों का प्यार।
सरहद पर ही होता, इनका हर एक त्यौहार।।
अगर सरहदों पर, न हो हमारे सैनिक।
तो कैसे चलेगा, जीवन हमारा दैनिक।।
कभी न करते देखा इनको, अपने जान की फ़िक्र।
बस करते है तो मुल्क़ की, हिफाज़त का ज़िक्र।।
क़ुर्बान कर देते है सैनिक, हँसते-हँसते अपनी जान।
कभी न होने देते कम वतन की, आन, बान और शान।।
करते है सलाम उन सैनिकों को, जो वतन के लिए होते क़ुर्बान।
करते है सलाम उन माँ-बाप को भी, जो वतन के लिए भेजते अपनी जान।।(बच्चे)
सुनो। 14 फरवरी 2019 को, शहीद हुए हमारे 45 जवान।
इस दिन को कैसे, भूल सकता है कोई इन्सान।।
जहाँ एक तरफ, पूरी दुनिया कर रही है, प्यार का इज़हार।
वहीं दूसरी तरफ, रो रहा है इनका, घर-परिवार।।
पूरे हफ्ते मनाया जाता है, अलग-अलग डे।
इनके लिये तो बस, एक ही है, गमों का डे।।
हमेशा याद रहेगा, पुलवामा हमले का दिन।
इसी दिन हमारे जवान, गये थे हमसे छिन।।
जंग में शहीद हुए जवानों पर, करते है हम गुमान।
बिन जंग के है जो शहीद, उन्हें कैसे भूलाये हिन्दुस्तान।।
कब तक करते रहोगे, हमें यूँ हीं क़ुर्बान।
लाखों करोड़ों है तैयार, भारत देश के जवान।।