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Farhan Lari

Abstract Tragedy Inspirational

4  

Farhan Lari

Abstract Tragedy Inspirational

"हमारे भारतीय किसान"

"हमारे भारतीय किसान"

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भारतीय किसान है हमारे, देश के अन्नदाता।

बड़ी मेहनत और मशक्कत से, यह अन्न को उगाता।।


क्या? खेती को हम समझते है, बेहद आसान।

नहीं! काफी मुश्किलों का सामना, करता है किसान।।


"बहुत कम खुश रह पाता है, बेचारा किसान।"

"अक्सर है रुलाता कभी ज़मीं, तो कभी आसमान।।"


"कैसे बंजर ज़मीं में, ले आता है हरियाली।"

"यह पानी नहीं पसीने से, करता है रखवाली।।"


अन्नदाता तो है हमारे, देश की बैकबोन।

इनके जैसा मेहनत, करने वाला है कौन।।


लारी फरहान! किसानों पर है हमें, बहुत नाज़।

कैसे? सोई ज़मीं से, ले आता है अनाज।।


शास्त्री जी ने कहा, "जय-जवान, जय-किसान।"

यह सब है हमारे, भारत देश की जान।।


कितने सुकून से खाते, हम घरों में पकवान।

कभी-कभी भूखा ही, सो जाता बेचारा किसान।।


कमाल है! जो पूरी दुनिया को देते, अन्न का खज़ाना।

अक्सर न पकता घर उनके, कई वक़्त का खाना।।


जब मुश्किल हो पाना, दो वक़्त की रोटी।

आख़िरी मंजिल इनकी, फाँसी ही होती।।


खेती करते वक़्त कभी, न देखते धूप और छाव।

इनकी मेहनत के आगे, क्या है? भूख, प्यास और घाव।।


कभी-कभी जान भी गंवा देते, ये बेचारे किसान।

जब ज़हरीले जानवर, पहुंचाते है इन्हें नुकसान।।


सलाम के भारतीय-किसान भी है हक़दार।

वतन की मिट्टी से इन्हें, भी है बेहद प्यार।। 


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