"कामयाबी की सीढ़ी है गुरु"
"कामयाबी की सीढ़ी है गुरु"
कामयाबी की सीढ़ियों में से, एक सीढ़ी है गुरु।
आप सीखकर इन सीढ़ियों पर, चढ़ना करते है शुरु।।
गुरु अपना हर एक हुनर, हम सबको हैं बताते।
इन हुनरों से कैसे हैं जीतना, हमें ये भी सीखाते।।
गुरु बनाते है हमें अपने जैसा, एक से अनेक।
होते है बहुत खुश, हमें कामयाब होता देख।।
जब भी स्कूल है जाता, मासूम और नासमझ बच्चा।
गुरु ही उसे सीखा-सीखाकर, बनाते है सबसे अच्छा।।
गुरु हमें हर एक चीज़, बहुत अच्छे से सीखाते।
कुछ न समझ आने पर, बार-बार हमें समझाते।।
माँ-बाप ही है हमारी ज़िन्दगी के, सबसे पहले गुरु।
इनसे ही सीखकर बच्चे करते है, हर एक चीज़ शुरु।।
सुनो, हमें बहुत कुछ है सीखाती, हमारी नाक़ामयाबी।
अक्सर यही बनती है, हमारे जीत की चाभी।।
#थैंक यू टीचर अक्सर आप, हमारे दोस्त भी बन जाते।
फिर दोस्त के जैसा ही, हमें है खूब समझाते।।
हमारे गुरु तो बस यही, सोचते रहते है हर पल।
कैसे निखर जाये इन बच्चों का, आने वाला कल।।
गुरु की सीख से मिलता है, हमें हर एक मुकाम।
सभी गुरुओं को दिल से, लारी फरहान का सलाम।।