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Aanchal Yadav

Tragedy

4.1  

Aanchal Yadav

Tragedy

उदास है मन का मौसम

उदास है मन का मौसम

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क्या कहूँ आज सभी से

उदास है मन का मौसम

चारों तरफ कोहराम मचा है

साबुत यहां कौन बचा है

कितने घरों के दीये मिटे

और कितनी बहनों का सुहाग उजड़ गया

क्या कहूँ आज सभी से

उदास है मन का मौसम


इस वायरस ने रिश्तों का गणित बदल डाला

जो कल जान छिड़कते थे

आज लाश पहचानने से इंकार करते है

जो सोचते थे पुत्र ही मुखाग्नि देगा

वे लावारिस बनाकर फ़ूके जाते हैं

इन खून के रिश्तों का व्यापार यूँ निरस्त हुआ है

जो मर मिटने की कसमे खाते थे

आज बात बात पर मुंह बिचकाते हैं

क्या कहूँ आज सभी से

उदास है मन का मौसम


रास्ते वीरान हो गए

सड़कें गुमनामी में खो गयी

सभी नटखट, नादान,

शैतान बच्चे चुप कर दिए गए

उनकी चहलकदमी उजाड़खाने में

कैद होकर खत्म हो चली

बड़े बूढ़े भी डरे डरे से नज़र आते हैं

नयी नवेली दुल्हन भी बात बात पर झल्ला जाती हैं

क्या कहूँ आज सभी से

उदास है मन का मौसम


पेड़- पौधे, खेत खलिहान खुश नज़र आते हैं

हर तरफ हरियाली, सुकून दे जाते है

नदियाँ फिर से मुस्कराने लगी है

पक्षी फिर से चहचहचहाने लगे हैं

तुमसे मनोबल और साहस लेकर

फिर से चल पड़ेंगे हमदम

लड़े है, लड़ेगे उदास मौसम के खिलाफ

बगावत की है, करेंगे साथियों

बस क्या कहूँ आज सभी से 

उदास है मन का मौसम



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