सबको कहाँ मयस्सर ख़ुशियाँ
सबको कहाँ मयस्सर ख़ुशियाँ
इस क्षणभंगूर जीवन में कभी-कभार ,
अपने अपने दिल के द्वार ज़रा खोलिये !
जब कभी भी ज़रा सा भी मिले मौक़ा ,
सबके संग तनिक हँसिए व खिलखिलाए !
एक हद से ज़्यादा यूँ मौन होकर रहना,
जैसे दुख और अवसाद की ही निशानी है !
सबसे ज़रा खुलकर मिलिए और मिलाइए,
बड़ी ही मुक्तसर सी अपनी ये ज़िंदगानी है !
चलो माना कि,सबको मयस्सर नहीं होते,
चाँद,सूरज से भरा नभ भी आसमानी है !
अब आँचल और आँगन में भर लो खुशियाँ,
उदास व मायूस होना तो एकदम बेमानी है !
जिस खुदा ने बख्शी है हमें नेमतें बेशुमार,
सब के सफ़र की कोई ना कोई कहानी है !
कभी ख़ुशी,ग़म तो कभी आंसू, कभी हंसी,
ज़िन्दगी ढलती धूप-छाँव सी आनी-जानी है !
चंद भाग्यशाली में होता नाम शुमार अपना,
भरी झोली रहे सब उपरवाले की मेहरबानी है !
लम्हे में सिमट सी गई जो हमारी ये ज़िन्दगी,
सब कहेंगे ये तो बड़ी ही खूबसूरत कहानी है !