ख़्याल रखना...!
ख़्याल रखना...!
सुनो..!
तुम्हारे लौट आने तक
ख़ुद को संभाल लूँगी
बस तुम बाते करते रहना
आख़िर...
ख़ुद को जिंदा सौपना है तुम्हें
है ना...!
अपना ख़्याल रखना
मेरे आने तक
यही कहा था ना तुमने
पर...
कैसे रखूँ
तुम्हारी आवाज भी तो
तुम्हारे साथ साथ हमसे दूर है!
अब तुम बताओ
कोई ख़ुद को संभाले कैसे..?