नगर की गलियों में
नगर की गलियों में
तेरे प्यार के लिये मै बावरी बनी हूं,
नगर की गलियोंमें तुझे ढुंढ रही हूं।
दिलमें तेरी तस्वीर लेकर घुमती हूं,
तुजे देखनेके लिये मै बेबस बनी हूं।
विरह की वेदनासे तड़पती रहेती हूं,
नगर की गलियोंमें तुझे ढुढ रही हूं।
तारें गीन गीन कर रातें बिताती हूं,
तेरे ही खयालोंमें डूबती रहेती हूं।
तेरे मिलन के लिये प्यासी बनी हूं,
नगर की गलियोंमें तुझे ढुंढ रही हूं।
तेरे बीना अब मैं अधूरी बनी हूं,
सूमशान जीवन मै बिता रही हूं।
"मुरली" तेरी बांहों में सिमटना चाहती हूं,
नगर की गलियोंमें ढुंढ तुझे ढुंढ रही हूं।