तू कोई और की बांहों में
तू कोई और की बांहों में
ढूंढ ढूंढकर तुझे थक गया हूं मैं,
फिर भी तू मुझे कहीं मिली नहीं,
तुझ पर एतबार करता था मैं,
मुझे दीवाना बनाकर चली गई।
तड़पता रहा तुझे पाने के लिये मैं,
सूरत तेरी मुझे न देखने को मिली,
दिन रात मैंने बिताया तेरे खयालों में,
मेरे दिल को कभी भी राश न मिली।
इश्क करता था दिल से तुझको मैं,
तूने इश्क को महसूस किया नहीं,
इश्क का इजहार करता था तुझे मैं,
मुझे तेरी रहमियत कभी न मिली।
तलाश कर के तेरे घर आ गया मैं,
तूने मुझे मिलने की परवाह की नहीं,
मुझे देखकर मुंह मोड़ लिया "मुरली",
तू कोई और की बांहों में खो गई थी।