तन्हा तन्हा
तन्हा तन्हा
तन्हा तन्हा सा मैं घूम रहा हूं,
रास्ते पे अकेला मैं चल रहा हूं,
लब पर तेरा ही नाम है जानेमन,
तेरे चेहरे को मैं ढूंढ रहा हूं।
नफरत की आग में जल रहा हूं,
खामोश होकर अब सह रहा हूं,
दिल की बात कहनी है जानेमन,
अजनबी बनकर मैं ढूंढ रहा हूँ।
रात भर खयालों में मैं डूब रहा हूं,
तुझे मिलने के लिये तड़प रहा हूं,
तेरा चेहरा दिखा दे ओ जानेमन,
तुझे दिल से मैं पुकार रहा हूं।
तेरे प्यार का प्यासा बन रहा हूं,
इंतजार कर के मैं थक गया हूं,
अब न करो नफरत मुझे "मुरली",
अब जिंदा कफन मैं बन रहा हूं।