भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार
हम समाज में जागृति लाना चाहते है,
हम सबको अक्षर ज्ञान देना चाहते है,
शिक्षण के व्यापार का अंंत लाने के लिये,
हम भ्रष्टाचार मिटाना चाहते है।
हम सब की प्रगति देखना चाहते है,
हम सब को व्यवसाय करवाना चाहते है,
नाणांकिय मदद प्राप्त करने के लिये,
हम भ्रष्टाचार मिटाना चाहते है।
हम सब को नौकरी दिलाना चाहते है,
हम अमलदार की पोल खोलना चाहते है,
इमानदारी का मसीहां बनने के लिये,
हम भ्रष्टाचार मिटाना चाहते है।
हम गरीबों का शोषण मिटाना चाहते है,
हम सबकी मुस्कुराहट देखना चाहते है,
मानवता की धारा बहाकर "मुरली",
हम भ्रष्टाचार मिटाना चाहते है।
रचना:-धनज़ीभाई गढ़ीया "मुरली" (ज़ुनागढ-गुजरात)
