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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Drama Romance

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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Drama Romance

ये कैसी तेरी आदत?

ये कैसी तेरी आदत?

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सामने मेरे तू रहती है फिर भी छूपने की तेरी आदत है,
ईशारा करके मुझे बुलाकर तडपाने की तेरी आदत है।

जब मै तुझको पुकार करुं तो तरसाने की तेरी आदत है, पुकार की अवहेलना करके तडपाने की तेरी आदत है।

मिलन के लिये वादा करके इंतजार कराना तेरी आदत है, वादा मिलन का तोड़कर मुझे तडपाने की तेरी आदत है।

रात को मुझे ख्वाब में आकर सताने की तेरी आदत है, ख्वाब में मुझे पीछे दौड़ाकर तडपाने की तेरी आदत है।

मुझसे फ़ांसला रखकर दिल तोडने की तेरी आदत है, मेरी मुहब्बत को ठुकराकर तडपाने की तेरी आदत है।

"मुरली" आदत तेरी भूल जा, मौसम मस्त बहारों की है, दिल मेंं मेरे समाउंगा तुझे यह मेरी भी पुरानी आदत है।

 रचना:-धनजीभाई गढीया"मुरली" (ज़ुनागढ-गुजरात)


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