डरे डरे से आधे अधूरे मरे मरे। डरे डरे से आधे अधूरे मरे मरे।
सीधी चाल से चलता रहा मुझे अपनी चाल में चला के, सीधी चाल से चलता रहा मुझे अपनी चाल में चला के,
डोले हैं पीपल की शाखे, और माटी भी खामोश है। डोले हैं पीपल की शाखे, और माटी भी खामोश है।
वैश्विक महामारी से सब डरे-डरे से हैं, उम्मीदों पर दुनिया सदा कायम है, वैश्विक महामारी से सब डरे-डरे से हैं, उम्मीदों पर दुनिया सदा कायम है,
पर है ताकत उस आभा में जो फिर भी सब कुछ भूल रही पर है ताकत उस आभा में जो फिर भी सब कुछ भूल रही