धीरे-धीरे खुशी भरे माहौल को छोड़ जाते हैं। धीरे-धीरे खुशी भरे माहौल को छोड़ जाते हैं।
लौट रहे अपने घर पंछी, छा चुका हैं अंधकार लौट रहे अपने घर पंछी, छा चुका हैं अंधकार
पूरी दुनिया दिख जाया करती थी मुझे आज भी जब चाहूँ मैं, आँखें बन्द करके अपनी नजर में पूरी दुनिया दिख जाया करती थी मुझे आज भी जब चाहूँ मैं, आँखें बन्द करके अपन...
डोले हैं पीपल की शाखे, और माटी भी खामोश है। डोले हैं पीपल की शाखे, और माटी भी खामोश है।
पर आज भी कई घरों में तिरस्कृत होती है बेटियां। पर आज भी कई घरों में तिरस्कृत होती है बेटियां।
शाम ढलती आग जलती, शीत लहर सुबह शाम चलती। शाम ढलती आग जलती, शीत लहर सुबह शाम चलती।