फिर भी नहीं ठंड की जीत।
फिर भी नहीं ठंड की जीत।
शीत लहर की धूम है,
कहां बादलों की धूप है।
बूढ़े बच्चे सब परेशान हैं,
ठण्डी हवाओं से मलाल है।
सूर्य रश्मियाँ आती सरपट,
घेरे बादलों की छांव उल्फत।
शाम ढलती आग जलती,
शीत लहर सुबह शाम चलती।
अंतस में सिहर जब उठती ठंड,
आम आदमी को ही करती तंग।
सर्द हवाओं के अवचेतन में,
मजदूर किसान खेतन में।
नंगे पांव बदन पर छीट,
फिर भी नहीं ठंड की जीत।