आशाओं की प्रतीक्षा
आशाओं की प्रतीक्षा
पुनः चेहरे चमक कर मुस्कुराएंगे,
आशा है, गहन तिमिर से उभरकर,
मजबूरियों को अवसर में बदलकर,
उन महकते पलों को पुनः लौटा ले आएंगे हम।।
चहकेंगे पुनः पाठशालाओं के आँगन,
बस्तों के साथ दौड़ लगाते बच्चों का वंदन,
पुनः मासूम कलियों के सुनहरे सृजन हेतु,
शिक्षा की नफ़ीस बगियों को नित सजाएंगे हम।।
मास्क की दुनिया में ढके- ढके से हैं,
वैश्विक महामारी से सब डरे-डरे से हैं,
उम्मीदों पर दुनिया सदा कायम है,
प्रतीक्षा है, पुनः चेहरों के नक़ाब हटाएंगे हम।।
आनलाइन से मिल रहें सभी से हम,
प्रतिबिंब की दुनिया में दिख रहें हम,
दृश्य, श्रवण के उपरांत प्रतीक्षा है,
2021में, जब छूकर महसूस कर पाएंगे हम।।
